ट्रैवलॉग अपनी दुनिया : शत्रुंजय पहाड़ी पर देव लोक जैसा आभास

ट्रैवलॉग अपनी दुनिया : शत्रुंजय पहाड़ी पर देव लोक जैसा आभास

संजय शेफर्ड , (ट्रैवल ब्लॉगर)

गुजरात के भावनगर जिले में स्थित पालीताना कस्बा जैन धर्मावलम्बियों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। जिले के दक्षिण-पश्चिम में स्थित पालीताना अपनी पहाडिय़ों और नदी तलहटी के साथ-साथ धार्मिक आस्था और मान्यताओं के लिए विश्व भर में जाना जाता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पालीताना दुनिया का ऐसा पहला शहर है, जिसे कानूनी रूप से शाकाहारी शहर होने का दर्जा प्राप्त है। जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध पालीताना के पास शत्रुंजय पहाड़ी स्थित है, जिसकी तलहटी से होकर शत्रुंजय नदी बहती है।

शत्रुंजय पहाड़ी के शिखर पर सदियों से 863 जैन मंदिरों का भव्यता के साथ होना, इसे ऐतिहासिक होने के साथ दुनिया के नक्शे पर एक विशिष्ट स्थान दिलाता है। इस जगह पर आने वाले सैलानियों के मन में सबसे पहला सवाल यह आता है कि इन मंदिरों को कब और किसने बनाया। वैज्ञानिक साक्ष्यों और संदर्भों से पता चलता है कि इन मंदिरों का निर्माण 900 साल पहले करवाया गया था। जैन शास्त्रों के अनुसार यह शाश्वत तीर्थ है। इस तीर्थ का कई बार जीर्णोद्धार हुआ। जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ने शिखर पर स्थित वृक्ष के नीचे कठिन तपस्या की थी। पालीताना के निकट पांच पहाडिय़ों में सबसे अधिक पवित्र पहाड़ी है शत्रुंजय।

जैन ग्रंथ 'विविध तीर्थकल्प' में शत्रुंजय के निम्न नाम दिए गए हैं - सिद्धिक्षेत्र, तीर्थराज, मरुदेव, भगीरथ, विमलाद्रि, महस्रपत्र, सहस्रकाल, तालभज, कदम्ब, शतपत्र, नगाधिराजध, अष्टोत्तरशतकूट, सहस्रपत्र, धणिक, लौहित्य, कपर्दिनिवास, सिद्धिशेखर, मुक्तिनिलय, सिद्धिपर्वत, पुंडरीक। शत्रुंजय के पांच शिखर बताए गए हैं। माना जाता है कि जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से 23 तीर्थकर इस पर्वत पर आए थे। प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का विहार इस स्थान पर 99 बार हुआ। इस भूमि का एक-एक कण उनके चरण स्पर्श से पावन हुआ है। इन मंदिरों की नक्काशी व मूर्तिकला विश्वभर में प्रसिद्ध है। ये मंदिर काफी खूबसूरत हैं और एक अद्भुत छठा प्रकट करते हैं। पालीताना शत्रुंजय तीर्थ का जैन धर्म में बहुत महत्त्व है। जैन धर्म के अनुसार प्राचीन काल से ही पालीताना जैन साधुओं और मुनियों के मोक्ष एवं निर्वाण का प्रमुख स्थल रहा है।

मंदिरों को देखने से संजीदगी का अहसास होता है, इनकी कारीगरी सजीव-सी लगती है। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का मंदिर पालीताना का प्रमुख व सबसे खूबसूरत मंदिर है। चौमुखा मंदिर क्षेत्र का सबसे बड़ा मंदिर है। कुमारपाल, मिलशाह, सम्प्रति राज मंदिर पालीताना के प्रमुख मंदिर हैं। पालीताना में बहुमूल्य प्रतिमाओं आदि का भी अच्छा संग्रह है। यदि आपकी यात्रा का उद्देश्य मानसिक शांति ही है तो फिर पालीताना एक ऐसी ही जगह है। इस जगह पर आकर 'शत्रुंजय पहाड़ी' की यात्रा कर सकते हैं। ये जगह अध्यात्म और शांति के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इस जगह पर पहुंचकर आपको अवश्य ही सुखद अनुभूति होगी। पालीताना मंदिरों के शिखर पर जब सूर्य का प्रकाश पड़ता है, तो इसकी अनुपम छठा का दृश्य बहुत आर्कषक लगता है। पहाड़ पर पहुंचते ही लगता है जैसे किसी देव लोक में पहुंच गए हों। वहां एक साथ सैकड़ों मंदिर देखकर व्यक्ति सभी ङ्क्षचताओं को भुलाकर भक्ति भाव में लीन हो जाता है।